मेरा ब्लॉग आध्यात्म को भौतिक जीवन से जोड़ता है, कर्म, भक्ति एवं धारणा के भेद को परिभाषित करता है। इसमें मैंने जितने भी विषय लिये हैं उनमें सृष्टि के नियमों की प्रधानता की अभिव्यक्ति कुछ इसप्रकार की है कि जिससे मनुष्य अपने आचार विचार तथा व्यवहार का आंकलन स्वयं कर पाये, एवं अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह पूर्ण कुशलता के साथ कर सके। तथा मैं अपने इस ब्लॉग में काल गणना, सृष्टि रचना एवं उसके अभ्युदय (विकास) पर भी अपने विचार ग्रन्थों के आधार पर प्रेषित करूंगी, और इनके महत्व पर प्रकाश डालूंगी।